आसान नहीं है किसी रिश्ते को परिभाषित करना सच तो ये है कि रिश्ता चाहे कोई भी हो उसको परिभाषित नहीं किया जा सकता। क्योंकि रिश्ते बहुत नाजुक डोर से बंधे होते हैं। हां ये बात अलग है कि कभी कभी रिश्तों के कमजोर होने का पता चलता है मगर तब तक देर हो चुकी होती है।
बहुत कम ऐसा होता है कि रिश्ते संभल पाते हैं। आज ज्योति से मुलाकात हुई, उसकी आपबीती सुनकर ये यकीन हो गया कि वाकई रिश्ते खोखले हो गए है। ज्योति अपने सुखी संसार की दुश्मन खुद ही बन गई।
उसकी शादी को उन्नीस वर्ष बीत चुके हैं। मुझे याद है वो दिन जब ज्योति और अनिल विवाह सूत्र में बंधे थे, उस विवाह कि साक्षी मैं भी थी। संस्कारी और सभ्य परिवार में उसका रिश्ता तय हुआ था। समय के साथ ज्योति दो बच्चों की मां बनी। पहली संतान बेटी थी, एकदम पारी सी प्यारी उसका नाम सुकन्या रखा गया। सबकी लाड़ली सुकन्या अभी चलना ही सीख रही थी कि ज्योति ने घर में कलह करना शुरू कर दी। अब वो परिवार के साथ नहीं रहना चाहती थी।
ज्योति की खुशी को सबने मान दिया और उन्हें परिवार से अलग रहने की अनुमति मिल गई। अब सुकन्या पांच वर्ष की हो चुकी थी लेकिन दादा दादी और चाचा से सिर्फ दूर से ही मिलती थी। क्योंकि ज्योति परिवार से आपस में मिलकर नही रहना चाहती थी।
अब ज्योति के घर एक और नन्हा मेहमान आने वाला था। भले ही वो परिवार के साथ नहीं थी, लेकिन सास ससुर ने अपनी बहू के लिए आशीर्वाद और आने वाले बच्चे के लिए शुभकामनाओं के साथ फल मिठाइयां और कुछ खिलौने भी भेजे।
दूसरा बच्चा लड़का हुआ ज्योति को। अब उसका परिवार पूरा हो चुका था। लेकिन अब वो इन जिम्मेदारियों से जी चुराने लगी थी। छोटी जगह में उसको अच्छा नहीं लगता था। अब वो पति से जिद करने लगी कि यहां काम ठीक नहीं चलता अब मकान बेचकर हम किसी बड़े शहर में जाकर अपना जीवन दोबारा नए सिरे से शुरू करेंगे।
पति उसकी करतूत को समझ नहीं पाया और बना बनाया घर बेच दिया। उसे क्या पता था वो अपने घर के साथ साथ अपने जीवन को भी सड़क पर ले जा रहे हैं।
ज्योति को पति और बच्चों से मोह नहीं रह गया था। वो तो किसी और के प्यार में पागल हो रही थी। सुकन्या अब सोलह साल की हो चुकी थी। मां की इन हरकतों की वजह से अब उसने मां से दूरी बना ली थी। लोगों की सवालिया नजरे खूब समझती थी सुकन्या। लेकिन लोगों को क्या जवाब देगी बच्ची।
अनिल भी इस माहौल से तंग आ चुके थे, उन्होंने तय किए कि ज्योति को आजादी चाहिए तो उसे आजादी देंगे और अपने बच्चों पर उसकी हरकतों का साया नहीं पड़ने देंगे। उसका एक ही उपाय था तलाक। तलाक के बाद ज्योति के प्रेमी ने भी उसे छोड़ दिया और अब वो अकेली रह गई। वहीं अनिल अपने बच्चों को अच्छी परवरिश के साथ साथ माता पिता दोनों का प्यार दे रहे हैं।
English translation
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It is not easy to define a relationship. The truth is that no matter what a relationship is, it cannot be defined. Because relationships are bound by a very delicate string. Yes, it is a different matter that sometimes the weakening of relationship is detected but by then it is too late.
It happens very rarely that relationships can survive. I met Jyoti today after hearing her ordeal, it was convinced that the relationship has become hollow indeed. Jyoti has become the enemy of her own happy world.
Nineteen years have passed since her marriage. I remember the day when Jyoti and Anil had tied the knot, I was also a witness to that marriage. His relationship was fixed in a cultured and civilized family. Over time, Jyoti become the mother of two children. The first child was a daughter, just like a fairy, she was named Sukanya. Everyone's beloved Sukanya was just learning to walk when Jyoti started quarreling in the house. She no longer wanted to be with the family.
Everyone accepted Jyoti's happiness and she got permission to live separately from the family. Now Sukanya was five years old, but used to meet grandparents and uncles only from a distance. Because Jyoti did not want to live together with the family.
Now another little guest was about to come to Jyoti's house. Even though she was not with the family, the mother-in-law also sent fruit, sweets and some toys along with blessings for her daughter-in-law and best wishes for the baby to come.
Super my dear ❤️
ReplyDeleteThanks my dear ❤️
DeleteVery nice story mam
ReplyDeleteThank you so much
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