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मकर संक्रान्ति / Makar sankranti

2025 के शुभारंभ के साथ ही महापर्व कुंभ का आयोजन हुआ प्रयागराज में। मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर कुंभ में स्नान का बहुत महत्व है। दूर दूर से लोग कुंभ के मेले में भाग लेकर अपने मोक्ष की कामना करते हैं।
मकर संक्रान्ति का त्योहार पूरे भारत वर्ष मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अनेकता में एकता यही है हमारे भारत की विशेषता। त्योहार चाहे किसी भी धर्म का हो उसे सभी धर्म और प्रांत के लोग मिलकर मनाते हैं। मैं यहाँ कुछ प्रदेशों की संक्रांति की झलकियाँ आपको दिखाती हूँ। नई बहू की पहली संक्रांति पर ससुराल में उसे क्या उपहार मिलते हैं और अब भविष्य में उसे इन जिम्मेदारियों को कैसे निभाना है नये परिवार में। मालवा क्षेत्र में संक्रांति पर नई बहू के लिए उपहारों के साथ साथ कुछ रिवाज निभाने का भी अवसर होता है। सुहागनों के लिए नई बहू परिवार की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए सुहाग कुण्डे की पूजा करती है जिसमें मूंग दाल और चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ के लड्डू के साथ साथ सुहाग का सामान जैसे बिन्दी, चूड़ियाँ और मेहंदी आदि रखे जाते हैं और पूजा के बाद इन सामानों को सुहागनों में वितरित किया जाता है। नियम के अनुसार नई बहू इस कुण्डे को अपनी सास या जेठानी को देती है।
ऐसे ही महाराष्ट्र में भी नई बहू के लिए ससुराल में कुछ खास तैयारियाँ की जाती है। सास अपनी बहू को उपहार स्वरूप काली साड़ी भेंट करती हैं और पूजा करते समय बहू इसी काली साड़ी को पहनती है। सुहागनों के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है, पड़ोस की सभी सुहागनें नई बहू को आशीर्वाद देने आती हैं और नई बहू भी सभी को सुहाग के सामान के साथ तिल गुड़ के लड्डू देती है। बहू को सभी आशीर्वाद देकर तिल के लड्डू खिलाकर मीठा खाओ मीठा बोलो कहकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हैं। इसी तरह देश के विभिन्न भागों में संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। कहीं पतंग उड़ाने का रिवाज है तो कहीं तीर्थ स्थल का महत्व। पश्चिम बंगाल में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गंगा सागर में मकर संक्रान्ति के दिन कपिल मुनि, गंगा देवी और भगीरथ की पूजा की जाती है। कपिल मुनि, भगवान् विष्णु के 24 अवतारों में से एक माने जाते हैं। भोग लगाने के लिए सभी मीठे व्यंजन गुड़ से बनाये जाते हैं।
दक्षिण भारत में संक्रांति को पोंगल नाम से जाना जाता है और इस उत्सव को चार दिनों तक मनाते हैं घरों को फूलों, दीयों और रोशनी से सजाया जाता है। नये बर्तन में दूध चावल, काजू और गुड़ से पोंगल का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को भोग लगाते हैं। परम्पराओं को निभाते हुए बैल और सांडों के साथ भागकर उन्हें नियंत्रित करने का भी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। एक ही त्योहार को अलग अलग नामों से पूरे देश में मनाया जाता है। एक विशेषता है जो सभी जगह देखने को मिलती है वो तिल गुड़ के लड्डू जो आपसी प्रेम का प्रतीक है। तिल के एक एक दाने को मीठे गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाते हैं ठीक उसी प्रकार हमारे भारतीय भी अलग अलग जगहों पर रहने के बाद भी एक दूसरे के प्रति प्रेम और सदभाव का भाव रखते हैं। हम लोग भी बिल्कुल तिल और गुड़ की तरह ही है। आप सब भी आज संक्रांति के पर्व पर तिल और गुड़ के लड्डू के साथ इस त्योहार को संपन्न कीजिये। आप सभी को मकर संक्रान्ति की मीठी शुभकामनाएं। 😊😊
With the beginning of 2025, the great festival of Kumbh was organized in Prayagraj. Bathing in Kumbh on the holy festival of Makar Sankranti has great importance. People from far and wide participate in the Kumbh fair and wish for their salvation.
The festival of Makar sankranti is celebrated with great joy throughout India. Unity in diversity is the specialty of our India. People of all religions and states celebrate the festival together, irrespective of the religion. Here I show you glimpses of Sankranti from some states. What gifts does a new daughter - in - law get at her in law's place on her first Sankranti and how will she have to fulfill these responsibilities in the new family in the future. In the Malwa region, along with gifts, there is also an opportunity to follow some customs on Sankranti for the new daughter-in - law. For married women the new daughter-in-law , carrying forward the family tradition, worships the Suhag Kunda in which moong dal and rice khichdi, sesame jaggery laddus along with Suhag items like hindi, bangles and mehndi etc. are kept and after the puja these items are distributed among the married women. According to the rules, the new daughter-in-law gives this Kunda to her mother-in-law.
Similarly, in Maharashtra also some special preparations are made for the new daughter-in-law in the in-laws house. The mother-in-law gifts a black saree to her daughter-in-law, and the daughter-in-law wears this black saree while performing the puja. This festival has special significance for the married women, all the married women of the neighborhood come to bless the new daughter-in-law and the new daughter-in-law also gives everyone sesame jaggery laddus along with Suhag items. After blessing the daughter-in-law, everyone feeds sesame laddus and wishesh her a Happy Sankranti by saying eat sweet and speak sweet.
Similarly the festival of Sankranti is celebrated in different parts of the country. Somewhere there is a custom of flying kites, somewhere there is importance of pilgrimage sites. Kapil Muni, Ganga Devi and Bhagirath are worshipped on the day of Makar Sankranti at Ganga Sagar, a famous pilgrimage site in West Bengal. Kapil Muni is considered to be one of the 24 incarnations of Lord Vishnu. All the sweet dishes for offering are made from jaggery.
In South India, Sankranti is known as Pongal and this festival is celebrated for four days. Houses are decorated with flowers, diyas and lights. Pongal is prepared in a new vessel with milk, rice cashews and jaggery and offered to the Sun God. Following the traditions a program of running with bulls and controlling them is also organized. TheThe same festival is celebrated in the whole country with different names. One speciality that is found everywhere is sesame and jaggery laddus which are a symbol of mutual love. Laddus are made by mixing each grain of sesame in sweet jaggery. Similarly, even after living in different places, our Indians also have a feeling of love and goodwill towards each other. We too are just like sesame and jaggery. All of you should also celebrate this festival with sesame and jaggery laddus on the festival of Sankranti today. "Sweet wishes to all of you on Makar Sankranti. " 😊😊

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2 Comments
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  1. Soooo good 👍

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  2. Behtreen baat, Bharat sada sarvada shreshth hai

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